Happy Children's Day!
शतरंज की बिसात सी गुज़रती है उम्र
सफ़ेद दिन, काली रात
फिर एक सफ़ेद दिन
और फिर एक काली रात
कहने को तो हर कोई
अपनी अपनी बिसात का बादशाह है
पर हर बादशाह को
ज़िन्दगी की बाज़ी खेलने के लिए
पूरे मोहरे नहीं मिलते|
shatranj ki bisaat si guzarti hai umr
safed din, kaali raat
phir ek safed din
aur phir ek kaali raat
kehne ko to har koi
apni apni bisaat ka badshah hai
par har badshah ko
zindagi ki baazi khelne ke liye
poore mohre nahi milte
शतरंज: chess | बिसात: chessboard | बाज़ी: game of chess | मोहरा: chess piece | बादशाह: king
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