Poet:
वो कभी मुझे
किसी कली के
पिटारे में मिलता है
कभी सांझ के
किनारे पे मिलता है
कई बार यूं भी हुआ है
बहुत रात गए
चाँद के शिकारे पे मिलता है
बातें करता है
नाम नहीं बताता
wo kabhi mujhe
kisi kali ke
pitare mein milta hai
kabhi saanjh ke
kinare pe milta hai
kayi baar yuun bhi hua hai
bahut raat gaye
chand ke shikaare pe milta hai
baatein karta hai
naam nahi batata
y
पिटारा: case, coffer, संदूक | सांझ: evening | शिकारा: a kind of boat, houseboat
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